दंगे में रंगे
गूजर और डेरा विवाद से, ये सच्चाई समझ आई,
लोगों के पास कितना व्यर्थ समय है भाई ।
मीडिया ने खबरें छाप-छाप के रेटिंग खूब बढ़ाई,
खबर मिली-सो-मिली, भावनायें खूब भड़कायीं ।
खून बहाने की आपकी दीवानगी पर मुझे फ़क्र है,
लेकिन आपकी-मेरी सोच में 19-20 का फ़र्क है ।
ये खून किसी हॉस्पीटल में जमाया होता,
किसी के प्रियजन को अवश्य बचाय होता ।
मैं तो कहूंगा आपका जीवन आज से देश के नाम कर दो,
गरीबी और भ्रष्टाचार मिटाने की जेहाद का एलान करदो ।
गुरू गोविन्द सिंह के सपूत बनकर बोलो 'सत-स्री-अकाल' ,
देश सेवा के लिये शहीद होकर, कायम करो मिसाल ।
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1 comment:
अच्छे से आपने आपकी हमारी भावनाओं को पिरोया है.....इस गूजर मीणा की लड़ाई देखकर शर्म आती है और दुख भी होता है ....पता नहीं कब रूकेगा यह सब
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