गत वर्ष की तरह ( http://kyari.blogspot.com/2006/08/blog-post_29.html ) इस वर्ष भी पर्यूषण मनाया जाये। ज्ञानी-जन कह गये हैं कि दूसरों को क्षमा-दान देने में और दूसरों से क्षमा-दान माँगने में हमारी बहुत सारी मानसिक-शारीरिक समस्याओं का हल निहित है।
नमस्ते!
यदि मैंने जाने-अनजाने अपने विचार, शब्द या कार्यों से आपको व्यथित किया है तो पर्यूषण के पावन पर्व पर मैं हृदय से आपसे क्षमा माँगता हूँ। साथ ही मैं सभी जीव-अजीवों को क्षमा करता हूँ और मैं सभी जीव-अजीवों से क्षमा माँगता हूँ। मैं सभी जीव-अजीवों से मित्रता का व्यवहार करूँगा। मैं किसी से दुश्मनी का व्यवहार नहीं करूँगा और मैं सभी से क्षमा-प्रार्थी हूँ।
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मुझे महसूस होता है कि मेरे मन में कई बार कई लोगों के प्रति कोइ बुरी बात (ईर्ष्या, घृणा, अहित भावना, क्रोध, द्वेष, आदि) उत्पन्न होती है। अधिकतर ऐसे विचार क्षणिक होते हैं लेकिन कभी-कभी ये बहुत दिनों तक मन में जगह बना लेते हैं। इस तरह के विचार मेरी क्रियात्मकता और सकारात्मक सोच को गलत तरह से प्रभावित करते हैं। दूसरी ओर मेरे जाने-अनजाने में किये गये अनुचित कार्य दूसरों को आहत करते है। भविष्य में मेरा प्रयास रहेगा कि में किसी को आहत न करूँ और अगर कर भी दिया तो क्षमा-याचना के लिये तत्पर रहूँ। अत: मेरा विश्वास है कि पर्यूषण पर्व मेरी मानसिक व शारीरिक शक्ति को एकजुट करने और उसे समाज सेवा में लगाने में सहायक होगा।
क्षमा-प्रार्थी,
हिमांशु
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7 comments:
मिच्छामि दुक्कड़म जी. (दुःखडम नहीं :) )
सही करने के लिये धन्यवाद संजय भाइ।
आपके क्षमा मांगने के लिये आभार और हम भी कहते हैं:
मिच्छामि दुक्कड़म.
हमारी तरफ से भी "मिच्छामि दुक्कड़म"
अरे भाई कहाँ से हैं न्यू जर्सी में आप? आपके प्रोफाइल में दी गई ई बी सी रेडियो की फ्रीक्वेंसी 1680 ए एम से 1170 एम हो गई है!
सभी का आभार।
अन्तर्मन जी मैं तो आपके अन्तर्मन में ही हूँ, पिस्काटवे में। ई बी सी और मेरा साथ कोइ २ वर्ष पूर्व छूट गया जब वो ११७० ए एम हो गया और में व्यस्त और ९ २ ११.
हम तो माफ़ी गले मिलकर ही देंगे ...
बढ़िया है..
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