एक बुजुर्गवार के अनुभवों की झांकी:
१- मारना है जीतेजी तो छोड़ दे एहसान कर,
मर जाएगा वो यूं ही, एहसान के बोझ का मारा
२- अड़ते पे हंस दे, जलते पे जल बन,
गाली पर बन बहरा, तब ही गहरा जान
और आखिर में:
खुश रहो आबाद रहो,
न भूलो न याद रहो
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1 comment:
२- अड़ते पे हंस दे, जलते पे जल बन,
गाली पर बन बहरा, तब ही गहरा जान
bade gahre aur sunder vichar sakjha kiye.... doosre number ki panktiyan khas pasand aayin...
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