Monday, November 22, 2010

खुश रहो आबाद रहो:

एक बुजुर्गवार के अनुभवों की झांकी:

१- मारना है जीतेजी तो छोड़ दे एहसान कर,
मर जाएगा वो यूं ही, एहसान के बोझ का मारा

२- अड़ते पे हंस दे, जलते पे जल बन,
गाली पर बन बहरा, तब ही गहरा जान

और आखिर में:

खुश रहो आबाद रहो,
न भूलो न याद रहो

1 comment:

डॉ. मोनिका शर्मा said...

२- अड़ते पे हंस दे, जलते पे जल बन,
गाली पर बन बहरा, तब ही गहरा जान

bade gahre aur sunder vichar sakjha kiye.... doosre number ki panktiyan khas pasand aayin...