Friday, June 02, 2006

रिक्शे हटाओ, दिल्ली बचाओ (hindi)

आज ही समाचार मे पढा की दिल्ली के चान्दनी-चौक से रिक्शो को शीघ्र ही बेदखल किया जायेगा। अभी-अभी मेने दोपहर का खाना खाया था। बुद्दि-विलासी मन मे थोडी खलबली हुई तो सोचा कुछ लिख ही दू।
रिक्शे हटाने के कारण, जैसा मेरे समझ मे आया:
१. रिक्शो के कारण यातायात बहुत धीमा हो जाता हे। बहुत भीड हो गयी हे, मुख्य रूप से पुरानी दिल्ली मे। दिल्ली की सुन्दरता भी रिक्शो से फीकी पड जाती हे।
२. रिक्शे माफिया के कारण कई रिक्शे बिना लाइसेन्स (लाइसेन्स को हिन्दी मे क्या कह्ते हे? सरकारी अनुमती ?) के चलते हे।
३. रिक्शे चलाने वाले अधिकतर बाहर से आते हे। इसमे कुछ असामाजिक तत्व भी आ जाते हे।

मेरे विचार इस बारे मे:
१. रिक्शो के बजाय भीड कार-मोटर्साइकिलो से ज्यादा हुइ हे। भीड को नियन्त्रित करना आवश्यक हे। एक उदाहरण का उल्लेख करना चहून्गा। जब सिन्गापुर की सरकार को ये महसूस हुआ कि उनकी धरती ज्यादा कारो को सहन नही कर पायेगी, तो उन्होने नई कारो पर रजिस्ट्रेशन शुल्क कई गुना बढा दिया। लेकिन साथ-ही-साथ सरकार ने लोगो के आवागमन के लिये बस-टेम्पो की सन्ख्या भी बढा दी। अब हालत ये हे कि, बहुत कम लोग कार खरीद पाते हे, लेकिन फिर भी उन्हे कोइ परेशानी नही होती। अब कोइ ये ना कहे कि इसमे नागरिको के मौलिक अधिकारो का हनन हो रहा हे।
२. बिना लाइसेस के रिक्शो को अगर रोकना से तो सरकार जी से मेरी विनती हे कि लैसेन्स प्रक्रिया मे थोडा सेन्स पैदा करे और उसे जन-साधारण के लिये आसान बनये और नियम सख्ती से लागू करे।
३. दिल्ली जैसे मेट्रो या कॉस्मोपोलिटन (हिन्दी क्या होगी ?) का वजूद ही बाहरी लोगो के आगमन की वजह से हे। अमरीका के न्यूयार्क शहर मे ४०-५०% लोग बाहर के राज्यो से आकर रहते हे। यही हाल कनडा के टोरन्टो का हे। तो भई, कानून व्यव्स्था मे सुधार और इसने लोगो का विश्वास और भागीदारी बहुत अहम पहलू हे।
खेर, बाते हे बडी-बडी, पर अब ये सब करे कौन। राजनीति मे तो मेरे जैसे प्रतिभावान और समझदार लोग जाते नही और जो दिल्ली के नौकरशाह हे उनका तो ऊपरवला ही जाने। बस एक चमत्कार की आशा हे, हे ऊपरवाले।

--हिमान्शु शर्मा www.kalakari.com

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