Friday, June 01, 2007

दंगे में रंगे

दंगे में रंगे

गूजर और डेरा विवाद से, ये सच्चाई समझ आई,
लोगों के पास कितना व्यर्थ समय है भाई ।

मीडिया ने खबरें छाप-छाप के रेटिंग खूब बढ़ाई,
खबर मिली-सो-मिली, भावनायें खूब भड़कायीं ।

खून बहाने की आपकी दीवानगी पर मुझे फ़क्र है,
लेकिन आपकी-मेरी सोच में 19-20 का फ़र्क है ।

ये खून किसी हॉस्पीटल में जमाया होता,
किसी के प्रियजन को अवश्य बचाय होता ।

मैं तो कहूंगा आपका जीवन आज से देश के नाम कर दो,
गरीबी और भ्रष्टाचार मिटाने की जेहाद का एलान करदो ।

गुरू गोविन्द सिंह के सपूत बनकर बोलो 'सत-स्री-अकाल' ,
देश सेवा के लिये शहीद होकर, कायम करो मिसाल ।

1 comment:

Reetesh Gupta said...

अच्छे से आपने आपकी हमारी भावनाओं को पिरोया है.....इस गूजर मीणा की लड़ाई देखकर शर्म आती है और दुख भी होता है ....पता नहीं कब रूकेगा यह सब