Friday, August 18, 2006

दाल पतली....

जी हाँ, दाल पतली करने से ही काम चलेगा। आगे पढेँ।

आज एक बार फिर पढा बीबीसी हिन्दी पर http://www.bbc.co.uk/hindi/news/story/2006/08/060818_america_dal.shtml । बीबीसी हिन्दी को इस बात का दुख है कि दुनिया के सबसे सुविधा सम्पन्न और धनी देश अमरीका में रहने वाले दक्षिण एशियाईयों को दाल कितनी महंगी लग रही है। और अमरीका में दाल महँगा होने का कारण है भारत सरकार द्वारा दालों के निर्यात पर प्रतिबन्ध। और ये प्रतिबन्ध इसलिये क्योंकि गत वर्ष भारत में दाल की फ़सल अच्छी नहीं हुई। क्यों नहीं हुई इससे हमें क्या।

मैं अमरीका में ही रहता हूं और मुझे ये खबर पढकर हँसी आयी क्योंकि अमरीका में बाकी चीज़ों के दाम के मुकाबले दालें इतनी महंगी नहीं है।
बीबीसी के अनुसार "...पहले जहाँ इन दालों के पाँच पाउंड के एक पैकेट का दाम तीन डॉलर था वहीं अब यह बढ़कर 10 डॉलर के क़रीब हो गया है...."

मेरा परिवार, जिसमें मैं, मेरी बेगम और एक ५ साल की मेरी लडकी है, एक महीने में ५ पाउण्ड (२ किलो) से ज़्यादा दाल नहीं खाता। तो भाई कुलमिला कर, महीने में मेरे ७ डालर अधिक खर्च हो रहे हैं। लेकिन यहां पर अगर आप चाय-काफ़ी भी बाहर पियें तो २-३ आलर की आती है, और ६-७ डालर मे आप बर्गर खाके पेट भर सकते हैं। खैर, चलो मान भी लो कि दाल महंगी है। अब आप ये सोचिये ये दाल भारत में रहने वाले निम्न व मध्यम वर्गीय परिवारों को कितनी महंगी लग रही होगी।
कुछ खट्टी-मीठी बातें:
१. मुझे लगता है कि दालों की ज़रूरत भारत के परिवारों को ज़्यादा है। भारत के बाहर के लोगों को कुछ समझदारी से काम लेना चाहिये दालें कम खाकर।
२. वैसे भी डाक्टर कहते कहते थक गये कि सब्ज़ी ज़्यादा खानी चहिये। इससे अच्छा क्य मौका है। दालें छोडो, सब्ज़ी से नात जोडो।
३. और फिर दाल पतली क्यों नहीं करें। वाकई, पतली दाल खाओ, सूप बनाकर, 'इंग्लिश श्टाइल'।
४. अजी दाल मे कौनसे सुर्खाब के पंख लगे हैं। राजमा, दूसरे बीन्स (लीमा, ब्लैक आई, फ़्रेन्च, इत्यादि) भी तो खाये जा सकते हैं जो कि पूरी दुनिया की स्थानीय फ़सलें हैं।
५. दुकानदार हमेशा की तरह दाम बढने से पहले ही दाम बढा देते हैं, लेकिन जब दाम घटाने का समय आता है तो बहुत धीरे धीरे रोते-रोते घटाते हैं। आपने देखा होगा, बजट की घोषणा हुई नहीं कि दाम बढ जाते है। कभी आपने दाम घटते हुए देखा है या सुना है। फिर दुकानदारों से ये पूछो कि जो माल आपने सस्ती दर पर खरीदा था उसे दाम बढाकर क्यों बेचते हो।

कहीं ना कहीं दाल में कुछ काला अवश्य है।
खैर, बेहतर यही है कि दाल का इस्तमाल एहतियात से करो।

1 comment:

deepak said...

आदरणीय भैया जी,

दाल तो वाकई मह्गीं हो गई हैं । लेकिन आपकी बात सही है की सब्ज़ी हमें अधिक मात्रा में इस्तेमाल करना चाहिये,साथ में फ़्रोज़ेन खाना उपयोग में नहीं लाना चाहिये । सुविधा और स्वास्थ के बीच में हम सुविधा का चयन कर रहे हैं ।

गीतांजलि